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बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :171
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2640
आईएसबीएन :000000000

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बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र : सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- स्पष्ट व्याख्या कीजिए कि नव-परम्परावाद क्या है? इस सन्दर्भ में मार्शल के आर्थिक सिद्धान्त के क्षेत्र में योगदान का विश्लेषण कीजिए।

अथवा
मार्शल के प्रमुख आर्थिक विचारों को बताइए।
अथवा
वैज्ञानिक के रूप में अपने क्षेत्र में मार्शल शताब्दी में विश्व के सबसे विचारक थो। जॉन मेनार्ड कीन्स इस कथन की विवेचना कीजिए।

उत्तर -

मार्शल के आर्थिक विचारों के इतिहास में मार्शल के योगदानों की व्याख्या निम्न शीर्षकों के अन्तर्गत की जा सकती है।

1. अर्थशास्त्र की परिभाषा और अध्ययन विधि - मार्शल ने अर्थशास्त्र की परिभाषा में सुधार किया। वह लिखते हैं, "राजनैतिक अर्थशास्त्र अथवा अर्थशास्त्र मनुष्य जाति के जीवन की साधारण क्रियाओं का अध्ययन है। यह व्यक्ति या समाज के कार्य के उस भाग की परीक्षा करता है। जिसका सम्बन्ध विशेषतः भौगोलिक कल्याण से होता है। एक ओर यह तो धन का अध्ययन है एवं दूसरी ओर जो महत्त्वपूर्ण है, यह मनुष्य के अध्ययन का एक मात्र भाग हैं।" उनके अनुसार जीवन व्यापार से भौतिक वस्तुओं से, जो कि कल्याण के लिए आवश्यक है, सम्बन्धित हैं।

मार्शल ने अर्थशास्त्र के अध्ययन की प्रणालियाँ भी नियत की। उसने अर्थशास्त्र के अध्ययन में आगमन और निगमन दोनों ही प्रणालियों को मनुष्य के चलने के लिए दोनों ही पैरों की भाँति आवश्यक बताकर, आर्थिक अध्ययन को सन्तुलित बनाने का प्रयास किया। उन्होंने दोनों प्रणालियों का क्षेत्र निर्धारित किया और कहा कि सिद्धान्त यथाशक्ति तथ्यों के आधार पर ही बनाये जायें।

2. अर्थशास्त्र के नियम - मार्शल ने अर्थशास्त्र को एक शुद्ध विज्ञान माना और उसके नियमों की प्राकृतिक नियम कहा किन्तु साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि आर्थिक नियम शुद्ध का आशय एक सामान्य प्रवृत्ति की सामान्य व्याख्या से है। मार्शल के अनुसार, “नियम शुद्ध का एक समान रूप से आशय हैं। इस प्रकार किसी सामाजिक विज्ञान का नियम सामाजिक प्रवृत्तियों की व्याख्या है, अर्थात् इस बात का वर्णन है कि कुछ परिस्थिति में समाज के एक वर्ग का एक विशेष व्यवहार होने की सम्भावना है। आर्थिक नियम या आर्थिक प्रवृत्तियों की व्याख्याएँ सामाजिक नियम के सदृश है और व्यवहार में उस भाव से सम्बन्धित हैं, जिसमें मुख्य प्रेरणाओं को एक मौद्रिक मूल्य द्वारा मापा जा सकता है।" मार्शल का कहना है कि प्राकृतिक विज्ञानों की तुलना में तो अर्थशास्त्र के नियम कम निश्चित है किन्तु अन्य सामाजिक विज्ञानों से अधिक निश्चित।” अनिश्चितता का कारण बताते हुए मार्शल लिखते हैं कि, “आर्थिक नियम भी उसी अर्थ में काल्पनिक हैं, जिस अर्थ में प्राकृतिक विज्ञान के नियम। "

3. निरन्तरता का सिद्धान्त - निरन्तरता का सिद्धान्त मार्शल के अर्थशास्त्र की एक मुख्य विशेषता है। वह लिखते हैं कि, "प्रकृति छलांग लगाकर नहीं, वरन् धीरे-धीरे पगों द्वारा चलती हैं। समझदार और साधारण व्यक्तियों की क्रियाओं के बीच निरन्तरता होती है। भिन्नता के साथ उनमें समानता भी होती है। इसी तरह, बाजार मूल्य और सामान्य मूल्य भी निरन्तरता के सूत्र द्वारा परस्पर जुड़े हुए हैं। एक घण्टे की अवधि के आधार पर जो मूल्य 'सामान्य मूल्य है, वही एक शताब्दी की अवधि के आधार पर 'बाजार मूल्य' हो जाता है। इस प्रकार समय तो स्वयं एक निरन्तर क्रम है। प्रकृति के अनुसार अल्प और दीर्घकाल में अन्तर का समय आधार है किन्तु समय तो स्वयं अल्प और दीर्घकाल में कोई निरपेक्ष नहीं है, वरन् धीरे-धीरे एक दूसरे में मिल जाते हैं। जो समय एक घटना के लिए अल्पकाल है, वही दूसरी समस्या के लिए दीर्घकाल हो जाता है। इस प्रकार अल्पकाल और दीर्घकाल के बीच कोई बड़ी खाईं नहीं होती, वरन् ये अल्प दीर्घकाल के माध्यम द्वारा परस्पर मिल जाता है।

4. उपभोग का सिद्धान्त - परम्पारवादी अर्थशास्त्रियों के समान मार्शल ने उपयोग के अध्ययन को समुचित स्थान दिया है। यद्यपि उपभोग के अध्ययन का महत्व ऑस्ट्रियन सम्प्रदाय के सदस्य की रचनाएँ प्रकाशित होने के बाद ही समझा जाता है तथापि मार्शल ने आवश्यकताओं और उपभोग के अन्य पहलुओं पर अधिक विस्तार के साथ विचार किया। उसके अनुसार उपभोग समस्त आर्थिक क्रियाओं का प्रारम्भ और अन्त है और इसीलिए उसने अपनी पुस्तक में उपभोग के अध्ययन को एक मुख्य स्थान प्रदान किया है।

5. उपभोक्ता की बचत यद्यपि यह विचार मार्शल से पूर्व भी ज्ञात था तथापि इसे व्यवस्थित रूप मार्शल ने ही प्रदान किया। इसी कारण अब मार्शल के नाम से ही जुड़ गया है। मार्शल के अनुसार, उपभोक्ता की बचत वह अतिरेक सन्तोष है जोकि वह वस्तु से वंचित रहने के बजाय देने को तैयार खरीद करके प्राप्त करता है। अन्य शब्दों में यह वस्तु की खरीद से प्राप्त मुद्रा की कुल उपयोगिता और मुद्रा को खर्च करने त्यागी गयी मुद्रा की कुल उपयोगिता का अन्तर होती है। स्पष्ट है कि यह धारणा कुल और सीमान्त उपयोगिता के विचार पर निर्भर है।

6. माँग की लोच - अर्थशास्त्र को मार्शल ने 'माँग की लोच' का विचार दिया है। माँग की लोच का आशय मूल्य में परिवर्तनों के अनुसार किसी वस्तु की माँग में होने वाली परिवर्तन की गति है। उन्होंने माँग की लोच के पाँच अन्तर किये पूर्णतः लोचदार, अत्यन्त लोचदार, कम लोचदार और बेलोच। यथार्थ में प्रगतिशील सिद्धान्तों का प्रस्तुतीकरण कदापि सम्भव न हुआ होता। व्यावहारिक जगत में माँग की लोच के विचार का बहुत महत्त्व है।

7. आभास लगान - 'आभास लगान' शुद्ध का भी प्रयोग सर्वप्रथम मार्शल ने किया। उन्होंने समय के प्रभाव की विवेचना करते हुए बताया है कि एक मशीन भी एक विशेष प्रकार की आय प्राप्त कर सकती है, जोकि लगान के समान हो और जिसे लगान कहा जा सकता है, किन्तु उसे लगानवत् या आभास लगान कहना अधिक उपर्युक्त है। अन्य शब्दों में आभास लगान अचल पूँजी पर अल्पकाल में प्राप्त हुई आय है। मार्शल ने यह तथ्य स्पष्ट किया कि सभी उत्पत्ति साधनों में समय-समय पर भूमि की बेसी आय समय साधारण आय से अधिक होती है। इस प्रकार मार्शल ने लगान को अलग आय न मानकर सामान्य आर्थिक विश्लेषण का एक अंग माना और बताया कि भूमि के लगान का अध्ययन माँग और पूर्ति के सामान्य सिद्धान्त द्वारा किया जा सकता है।

8. उत्पत्ति के साधन - प्रो० मार्शल के अनुसार भूमि और श्रम में दो उत्पत्ति के मुख्य साधन है। पूँजी के बारे में उन्होंने बताया कि यह भौतिक वस्तुओ के उत्पादन के लिए तथा उन लाभों की प्राप्ति के लिए जो कि साधारणतः आय का भाग गिने जाते हैं। इस प्रकार पूँजी उत्पत्ति का एक गौण या व्युत्पादित साधन है। इनमें भी मनुष्य सक्रिय है जबकि भूमि निष्क्रिय। उत्पादन और उपभोग सम्बन्धी सभी क्रियाओं के पीछे केन्द्रीय शक्ति पूँजी मनुष्य है। चूँकि उसकी क्षमताएँ और उसकी परिस्थिति वातावरण द्वारा निर्मित होता है, इसलिए प्रकृति की भूमिका बहुत ही महत्त्वपूर्ण होती है।

9. जनसंख्या - जनसंख्या के प्रश्न पर मार्शल प्रायः माल्थस से सहमति रखते हैं। मार्शल के अनुसार, देश की जनसंख्या या तो प्रकृति कारणों से बढ़ जाती है या आप्रवसन द्वारा। विवाह मुख्यतः जलवायु सम्बन्धी दशाओं और मनुष्य के पारिवारिक भरण-पोषण के साधनों से प्रभावित होते हैं, इसलिए यह कहना सही है कि जनसंख्या में वृद्धि तथा राष्ट्र की आर्थिक सम्पन्नता के लिए हानिकारक होती है। एक बड़े परिवार के सदस्य एक दूसरे को शिक्षित कर सकते हैं और एक छोटे परिवार के सदस्यों की अपेक्षा अधिक बुद्धिमान और बलवान हो सकते हैं।

10. श्रम विभाजन - प्रो० मार्शल का कहना है कि विशेष वस्तुओं के लिए बढ़ी हुई माँग और बाजार के विस्तार इन दो घटकों में श्रम विभाजन को जन्म दिया है। श्रमिकों की निपुणता और मशीनों का सर्वोत्तम ढंग से उपयोग करने के लिए यह आवश्यक प्रतीत हुआ कि श्रम विभाजन को अपनाया जाय। प्रत्येक व्यक्ति को निरन्तर रोजगार इस तरह मिलते रहना चाहिए कि उसकी निपुणता और योग्यता का सर्वोत्तम लाभ उठाया जा सके। स्पष्ट है कि मार्शल ने श्रम विभाजन के महत्त्व और लाभों को जान लिया था।

11. उत्पत्ति के नियम - उत्पत्ति के नियमों का मार्शल ने पहली बार वैज्ञानिक वर्णन किया, जो त्रुटिपूर्ण होते हुए भी आधुनिक सिद्धान्त का आधार बना। उन्होंने उत्पत्ति के तीन नियम, (ह्रास, वृद्धि एवं समता) बताये। आजकल ये एक ही नियम परिवर्तनशील अनुपातों के तीन चरण माने जाते हैं। दूसरा सुधार यह हुआ कि सीमान्त उपज के बजाय औसत उपज को उत्पादन घटने-बढ़ने का आधार माना गया है। मार्शल ने बताया है कि रिकार्डों ने उत्पत्ति, ह्रास नियम की परिभाषा ठीक-ठीक शब्दों में नहीं की थी। " उन्होंने नियम को इस तरह परिभाषित की है- “भूमि की खेती में प्रयुक्त पूँजी और श्रम में वृद्धि सामान्यतः उपज की मात्रा में अनुपातिक रूप से कम वृद्धि सम्भव बताती है, बशर्ते कृषि कला में भी धीरे-धीरे सुधार न हो जाय।" उसने बार-बार सीमान्त इकाई, सीमान्त उपज, कृषि सीमान्त आदि शब्दों का प्रयोग किया है। उनका विश्वास है कि श्रम और पूँजी के प्रति प्रकृति के उर्वरता निरपेक्ष नहीं है। यह स्थान और समय- सापेक्ष होती है अर्थात् उनके मतानुसार, नियम मछली उत्पादन केन्द्रों, खानों और खदानों में भी उसी प्रकार लागू होता है, जैसे कृषि में।

12. प्रतिनिधि फर्म - प्रो० मार्शल ने आर्थिक सिद्धान्त में एक नया विचार प्रतिनिधि फर्म का विचार प्रचलित किया है। उनके अनुसार प्रतिनिधि फर्म वह है, जिसे चलते हुए काफी समय बीत चुका है, जिसे काफी, सफलता मिली है, उसका प्रबन्ध सामान्य योग्यता से किया जा रहा है जो कि उत्पत्ति के कुल मात्रा के सम्बन्ध में उदय होती है। मार्शल की सम्पत्ति में प्रतिनिधि फर्म एक औसत फर्म होती है बाह्य मितव्ययिताओं से उसका अभिप्राय उन मितव्ययिताओं से है, जो कि उद्योग के सामान्य विकास पर निर्भर होती है। आन्तरिक मितव्ययिताएँ वह है जो व्यक्तिगत फर्म की प्रबन्ध - कुशलता, संगठनात्मक निपुणता और प्रसाधनों के कारण खुद संगठन के भीतर से ही मिलती है।

13. स्थैतिक दशा का विचार - मार्शल के अनुसार एक स्थैतिक दशा में समय का प्रभाव कम दिखाई देता है। वहाँ उपभोग, उत्पादन, विनियम और वितरण सम्बन्धी सामान्य दशाएँ प्रायः अपरिवर्तित या गतिरहित होती हैं। ऐसी दशा में लोगों की औसत आय एवं प्रति व्यक्ति उत्पादित वस्तुओं की मात्रा पीढ़ियों तक वही रहती है। व्यवसाय में तेजी और मन्दी के बावजूद प्रतिनिधि फर्म का आकार पूर्ववत् रहता है। ऐसी परिस्थिति में उत्पादन लागत ही मूल्य को निर्धारण करेंगी और दीर्घकालीन एवं अल्पकालीन सामान्य मूल्यों में कोई अन्तर न होगा, किन्तु एक आधुनिक समाज में ऐसा नहीं है। ये सदा ही माँग के स्वभाव एवं विस्तार को प्रभावित करते हैं और स्वयं भी उससे प्रभावित होते हैं तथा पारस्परिक समायोजन के लिए उनको समय की आवश्यकता पड़ती हैं।

मार्शल के आर्थिक विचारों की आलोचना -

कुछ लोगों का विचार है कि मार्शल की प्रणाली में वैज्ञानिक यथार्थता का अभाव है तथा वह क्रमहीन है। जहाँ तक वैज्ञानिक यथार्थता के अभाव का सम्बन्ध है, हम कह सकते हैं कि अर्थशास्त्र की वास्तविक परिस्थितियों के अनुकूल बनाने की जिज्ञासा में वह कभी-कभी एक कठोर वैज्ञानिक के पथ से विचलित हो गये थे। कुछ आलोचकों के अनुसार वितरण के क्षेत्र में मार्शल की यह धारणा थी कि राष्ट्र की उपस्थिति श्रम शक्ति, मशीनों तथा उपकरणों के प्रतिस्थापना तथा उनको सुरक्षित रखने के लिए कुछ निश्चित न्यूनतम बातों की आवश्यकता होती है। इस धारणा के परिणामस्वरूप मूल्य तथा वितरण सम्बन्धी उसके सम्पूर्ण विश्लेषण में वैज्ञानिकता का अभाव है।

लागत सिद्धान्त तथा सीमान्त उपयोगिता सिद्धान्त का संश्लेषण भी अपूर्ण प्रतीत होता है। मार्शल ने मूल्य तथा वितरण सम्बन्धी विषयों की जो व्याख्या की, वह आवश्यक रूप से स्थिर परिस्थितियों से ही सम्बन्धित है। समय अवधि का वर्गीकरण भी सन्देहजनक प्रतीत होता है, क्योंकि यह सम्भव नहीं कि विभिन्न समय अवधियों के बीच ऐसी कठोर रेखाएं खींची जा सकें, जैसे मार्शल ने खींची है। जो व्यक्तियों को हर प्रकार का प्रयत्न एवं त्याग करने के लिए प्रेरित करती हैं। यही नहीं, कहीं पर उसने उपयोगिता की तुलना इच्छा से की है और कहीं पर सन्तुष्टि से, कहीं पर अनुपयोगिता का सम्बन्ध वास्तविक लागत से स्थापित किया है और कहीं पर प्राप्त होने वाली वस्तु से, जिसके परिणामस्वरूप उसके विश्लेषण में गड़बड़ी उत्पन्न हो गयी हैं। उसने पूर्ण प्रतियोगिता को अनुचित महत्त्व दिया है और बड़े-बड़े कॉर्पोरेशनों, कार्टलों इत्यादि की ओर ध्यान नहीं दिया तथा व्यापक अर्थशास्त्र की जो व्याख्या उसने दी, वह अपर्याप्त है।

इन आलोचकों से उसकी स्थिति को कोई धक्का नहीं पहुँचा। यह कहने में कोई त्रुटि नहीं होगी कि आज तक उसका स्थान कोई एक व्यक्ति नहीं ले पाया। बल्कि उसके बाद अर्थशास्त्र का विकास हुआ और उसकी सैद्धान्तिक प्रणाली का क्षेत्र विस्तृत हुआ। आर्थिक सिद्धान्तों का ढाँचा जो उसने तैयार किया, वह आज भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है और वास्तविक समस्याओं के इतना समीप है कि उसका तिरस्कार नहीं किया जा सकता। मार्शल का नाम सदैव ही उन व्यक्तियों में सम्मिलित किया जाता रहेगा, जिन्होंने अर्थशास्त्र की कोई प्रतिष्ठा प्रदान की। हम अर्थशास्त्र में उसके योगदानों को, जैसे दीर्घकालीन तथा अल्पकाल का स्पष्ट भेद, उपभोक्ता बचत सिद्धान्त, आभास लगान सिद्धान्त और लगान सम्बन्धी विचार के विस्तार इत्यादि को नहीं भुला सकते।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारत के प्राचीनकालीन आर्थिक विचारधारा के प्रमुख स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
  2. प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
  4. प्रश्न- प्राचीन भारतीय आर्थिक विचारधारा की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?
  5. प्रश्न- अर्थशास्त्र में उल्लिखित 'कृषि तथा पशुपालन' विषय पर टिप्पणी लिखिए।
  6. प्रश्न- कौटिल्य के राजस्व के संबंध में विचारों पर प्रकाश डालिए।
  7. प्रश्न- कौटिल्य के सार्वजनिक वित्त संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- कौटिल्य के कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर प्रकाश डालिए।
  9. प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार, करारोपण राज्य के लिए क्यों आवश्यक है?
  10. प्रश्न- भारत में 19वीं शताब्दी में आर्थिक विचारधारा का विकास किन बातों से प्रभावित हुआ?
  11. प्रश्न- नरौजी के प्रमुख आर्थिक सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  12. प्रश्न- दादा भाई नौरोजी के निर्धनता सम्बन्धी विचार को समझाइये |
  13. प्रश्न- 'निष्कासन सिद्धान्त (The Drain Theory)' पर टिप्पणी कीजिए।
  14. प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त का सामान्य परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त के कृषि सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- "भारत की निर्धनता का कारण ब्रिटिश सरकार की शोषण नीति है।" रोमेश दत्त के इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
  17. प्रश्न- "लगान की ऊँची दर भारतीय कृषि की दुर्दशा का एक प्रमुख कारण है।" स्पष्ट कीजिए।
  18. प्रश्न- रोमेश दत्त के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर के आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
  20. प्रश्न- डॉ. राम मनोहर लोहिया के प्रमुख आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- गाँधी जी के 'समाजवाद' दर्शन का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- गाँधीजी और नेहरू जी के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिए।
  23. प्रश्न- गाँधीवाद तथा साम्यवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  24. प्रश्न- गाँधीजी के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
  25. प्रश्न- गाँधीजी के मशीन सम्बन्धी विचारों को बताइये।
  26. प्रश्न- "नेहरूवाद मार्क्सवाद और गाँधीवाद का विवेकपूर्ण सम्मिश्रण है।" संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  27. प्रश्न- पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आर्थिक नीति की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय भारी उद्योगों को अमानवीय और तानाशाही प्रकृति का मानते थे। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
  29. प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय की विकेन्द्रीकृत अर्थव्यवस्था की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  30. प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय के समग्र मानवतावाद के दर्शन की व्याख्या कीजिए।
  31. प्रश्न- दीन दयाल उपाध्याय की एकीकृत आर्थिक नीति की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- अर्थशास्त्र में 'आवश्यकता विहीनता' की परिभाषा के जन्मदाता प्रो. जे. के. मेहता हैं। इनके आर्थिक विचार समझाइए।
  33. प्रश्न- अमर्त्य सेन के 'निर्धनता' सम्बन्धी विचार लिखिए।
  34. प्रश्न- वैश्वीकरण पर अमर्त्य सेन के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  35. प्रश्न- विश्व व्यापार प्रणाली के सन्दर्भ में भगवती के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  36. प्रश्न- व्यापार उदारीकरण पर भगवती के विचारों का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- प्लेटो के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
  38. प्रश्न- प्लेटो और अरस्तू के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिये तथा आर्थिक विचारों के इतिहास में अरस्तू का महत्व बताइये।
  39. प्रश्न- प्राचीन आर्थिक विचारधाराओं की प्रमुख विशेषताएँ कौन-कौन सी थीं?
  40. प्रश्न- प्लेटो के 'साम्यवाद' की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  41. प्रश्न- सेण्ट थॉमस एक्विनास के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- उचित कीमत (Just price) सम्बन्धी सन्त थॉमस एक्विनास के विचारों का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- सन्त थॉमस एक्विनास के श्रम विभाजन सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
  44. प्रश्न- वणिकवाद के उदय के मूल कारकों पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- 'वणिकवाद' के पतन के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- उन परिस्थितियों का आलोचनात्मक विवेचन कीजिए जिन्होंने वणिकवाद को बढ़ावा दिया और जो इसके पतन का कारण बनीं।
  47. प्रश्न- वणिकवाद के सिद्धान्त एवं नीतियाँ लिखिये।
  48. प्रश्न- वाणिकवाद से क्या आशय है?
  49. प्रश्न- वणिकवादी दर्शन के मुख्य तत्त्व क्या थे?
  50. प्रश्न- वणिकवाद का आर्थिक विचारों के इतिहास में क्या महत्व है?
  51. प्रश्न- वणिकवाद के ब्याज के सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  52. प्रश्न- नव-वणिकवाद के उदय के कारण क्या हैं? संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- पुराने वणिकवाद तथा नव-वणिकवाद में समानताएँ क्या हैं?
  54. प्रश्न- सोना चाँदी का महत्व बताइये।
  55. प्रश्न- वणिकवाद की एक राष्ट्रीय नीति के सन्दर्भ में चर्चा कीजिए।
  56. प्रश्न- वणिकवादियों के 'राज्य सम्बन्धी विचार' क्या थे? स्पष्ट कीजिए।
  57. प्रश्न- 'वणिकवाद एवं राज्य समाजवाद' पर टिप्पणी कीजिए।
  58. प्रश्न- थॉमस मून के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- प्रकृतिवाद क्या है? प्रकृतिवादी वणिकवादियों का क्यों विरोध करते हैं?
  60. प्रश्न- प्रकृतिवाद और वणिकवाद के अर्थशास्त्रीय दर्शन में क्या मूलाधारीय अन्तर है? उनके समाज की आर्थिक दशाओं में प्रकृतिवादियों की देन की व्याख्या कीजिये।
  61. प्रश्न- प्रकृतिवाद के उदय के कौन-कौन से कारण उत्तरदायी थे?
  62. प्रश्न- आर्थिक तालिका अथवा धन के परिभ्रमण से क्या आशय है?
  63. प्रश्न- आर्थिक तालिका की दुर्बलताओं की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  64. प्रश्न- 'प्रकृतिवादी सिद्धान्त' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  65. प्रश्न- समान त्याग के सिद्धान्त से क्या अभिप्राय है?
  66. प्रश्न- "सहयोगी समाजवादी" से क्या तात्पर्य है?
  67. प्रश्न- सर विलियम पैटी के आर्थिक विचारों का वर्णन करें।
  68. प्रश्न- तुर्गो (Turgot) के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- लॉक के मूल्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- लॉक के सम्पत्ति सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- लॉक के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- लॉक का विदेशी व्यापार सम्बन्धी व्यापार संतुलन के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- "डेविड ह्यूम (David Hume) को मुद्रावाद का सूत्रधार कहा जाता है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  74. प्रश्न- एडम स्मिथ की पुस्तक 'राष्ट्रों का धन' (Wealth of Nations) का तत्कालिक आर्थिक विचारधारा पर क्या प्रभाव पड़ा?
  75. प्रश्न- एडम स्मिथ के आर्थिक विचारों के विकास में योगदानों का विवरण दीजिए तथा उनके, आर्थिक सिद्धान्तों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  76. प्रश्न- एडम स्मिथ की व्यवस्था के अन्तर्गत " श्रम विभाजन" और "बाजार के विस्तार" की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  77. प्रश्न- 'परम्परावाद' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  78. प्रश्न- आर्थिक विचारों के इतिहास में स्मिथ के स्थान को चिन्हित कीजिए।
  79. प्रश्न- अहस्तक्षेप नीति क्या है?
  80. प्रश्न- स्मिथ के सिद्धान्तों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  81. प्रश्न- स्मिथ का आशावाद क्या है?
  82. प्रश्न- एडम स्मिथ के पूँजी संचय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- वितरण सम्बन्धी एडम स्मिथ के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  84. प्रश्न- एडम स्मिथ के व्यापार सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  85. प्रश्न- एडम स्मिथ के आशावाद पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  86. प्रश्न- स्मिथ के प्रकृतिवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- "रिकार्डों का मुख्य योगदान मूल्य सिद्धान्त तथा वितरण सिद्धान्त के क्षेत्र में है। " व्याख्या कीजिए।
  88. प्रश्न- रिकार्डो के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
  89. प्रश्न- उन परिस्थितियों का वर्णन कीजिये जिनसे प्रकृतिवाद का जन्म हुआ। प्रकृतिवाद का आर्थिक विचारों में क्या योगदान है?
  90. प्रश्न- रिकार्डों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की चर्चा कीजिए।
  91. प्रश्न- डेविड रिकार्डों के 'मजदूरी सिद्धान्त' पर टिप्पणी कीजिए।
  92. प्रश्न- रिकार्डों का तुलनात्मक लागत सिद्धान्त बताइए।
  93. प्रश्न- रिकार्डों की प्रसिद्ध पुस्तक 'The Principles of Political Economy and Taxation' पर टिप्पणी लिखिए।
  94. प्रश्न- रिकार्डो के लगान सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
  95. प्रश्न- माल्थस के 'जनसंख्या सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी आलोचनाओं को बताइए।
  96. प्रश्न- नव-माल्थसवाद क्या है? इसके प्रमुख आर्थिक विचारों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  97. प्रश्न- अति उत्पादन तथा लगान पर माल्थस के विचारों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  98. प्रश्न- माल्थस के 'लगान' सम्बन्धी विचार को स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- माल्थस के 'प्रभावी माँग के सिद्धान्त' का विश्लेषण कीजिए।
  100. प्रश्न- माल्थस और रिकार्डो को निराशावादी क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- माल्थस के विचारों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक क्या थे? विवेचन कीजिए।
  102. प्रश्न- 'मार्क्स अन्तर्राष्ट्रीय समाजवाद के पिता के रूप में था।' स्पष्ट कीजिए।
  103. प्रश्न- कार्ल मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' को स्पष्ट कीजिए।
  104. प्रश्न- मार्क्स के 'अतिरेक मूल्य सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी प्रमुख आलोचनाओं को स्पष्ट कीजिए।
  105. प्रश्न- मार्क्स के आर्थिक विघटन सम्बन्धी विचार की व्याख्या कीजिए।
  106. प्रश्न- "मार्क्सवाद परम्परावाद के तने पर उगी हुई शाखा मात्र है।" उक्त कथन की व्याख्या कीजिए।
  107. प्रश्न- क्या कार्ल मार्क्स को प्रतिष्ठित सम्प्रदाय का अर्थशास्त्री माना जा सकता है? विस्तार से समझाइए।
  108. प्रश्न- सहयोगी समाजवाद, राज्य समाजवाद और वैज्ञानिक समाजवाद की तुलना कीजिए और उनका अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
  109. प्रश्न- कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित आधुनिक समाजवाद के मुख्य सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
  110. प्रश्न- सिसमाण्डी के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- "सिसमाण्डी समाजवादी विचारक था। " सिद्ध कीजिए।
  112. प्रश्न- मार्क्सवाद की विचारधारा के मूल तत्त्व कौन-कौन से थे?
  113. प्रश्न- मार्क्सवाद की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  114. प्रश्न- वर्ग संघर्ष पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  115. प्रश्न- जे. एस. मिल के प्रमुख आर्थिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
  116. प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों पर प्रभाव डालने वाले मुख्य घटकों की विवेचना कीजिए।
  117. प्रश्न- जे आर. हिक्स के विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  118. प्रश्न- "मिल के द्वारा परम्परावादी अर्थशास्त्र पूर्ण रूप से विकसित किया गया और उसी के साथ उसका पतन प्रारम्भ हुआ।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  119. प्रश्न- जे. एस. मिल परम्परावादी सिद्धान्तों के किन-किन नियमों से सहमत तथा किन-किन नियमों से असहमत था? स्पष्ट कीजिए।
  120. प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वहित सिद्धान्त की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  121. प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वतन्त्रता प्रतियोगिता के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  122. प्रश्न- जे. एस. मिल के जनसंख्या सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  123. प्रश्न- मिल के समाजवादी विचारों की आलोचना कीजिए।
  124. प्रश्न- 'जे. एस. मिल समाजवादी था'। इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
  125. प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों का मूल्यांकन कीजिए।
  126. प्रश्न- जे. बी. से के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  127. प्रश्न- जे. एस. मिल के मजदूरी सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  128. प्रश्न- मिल के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  129. प्रश्न- 'मूल्य व वितरण' के क्षेत्र में मार्शल के योगदान का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- स्पष्ट व्याख्या कीजिए कि नव-परम्परावाद क्या है? इस सन्दर्भ में मार्शल के आर्थिक सिद्धान्त के क्षेत्र में योगदान का विश्लेषण कीजिए।
  131. प्रश्न- नव परम्परावाद क्या है? परम्परावादी एवं नव परम्परावादी विचारों में अन्तर बताइये।
  132. प्रश्न- प्रकृतिवाद को जन्म देने वाली शक्तियों की व्याख्या कीजिए तथा आर्थिक विचारधारा में उसका मुख्य योगदान बताइये।
  133. प्रश्न- मार्शल के निरंतरता सिद्धांत पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  134. प्रश्न- मार्शल के आभास लगान के संबंध में विचारों की विवेचना कीजिए।
  135. प्रश्न- प्रतिनिधि फर्म के विषय में मार्शल के विचारों पर प्रकाश डालिए।
  136. प्रश्न- मार्शल ने अल्पकालीन व दीर्घकालीन विवाद के हल को कैसे सुलझाया?
  137. प्रश्न- परम्परावादी तथा नवपरम्परावादी विचारों में अन्तर कीजिए।
  138. प्रश्न- मार्शल के उपयोगितावाद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  139. प्रश्न- शुद्ध उत्पत्ति का सिद्धान्त बताइए।
  140. प्रश्न- राबिन्स के विचारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  141. प्रश्न- पीगू के आर्थिक कल्याण सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  142. प्रश्न- पीगू ने अर्थशास्त्र का क्षेत्र निर्धारण किस प्रकार किया है?
  143. प्रश्न- पीगू के रोजगार सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
  144. प्रश्न- पीगू के समाजवादी विचारों का वर्णन कीजिए।
  145. प्रश्न- शुम्पीटर के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  146. प्रश्न- सीमान्तवाद क्या है? सीमान्तवादियों का अर्थशास्त्र में क्या योगदान रहा है?
  147. प्रश्न- क्रूनो के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  148. प्रश्न- मूल्य निर्धारण के सम्बन्ध में क्रूनो के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  149. प्रश्न- गोसेन के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए।
  150. प्रश्न- जेवन्स के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  151. प्रश्न- प्रो. एल. वालरा (वालरस) के बाजार सन्तुलन सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  152. प्रश्न- सिसमण्डी के आर्थिक विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये।
  153. प्रश्न- सीमान्तवादी क्रान्ति की व्याख्या कीजिए तथा इस सम्बन्ध में मेंजर के विचारों की विवेचना कीजिए।
  154. प्रश्न- जेवन्स के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
  155. प्रश्न- कार्ल मेंजर के द्रव्य सम्बन्धी विचारों को संक्षेप में लिखिए।
  156. प्रश्न- विकस्टीड के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  157. प्रश्न- वालरस के उपयोगिता सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
  158. प्रश्न- वालरस के साम्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  159. प्रश्न- कार्ल मेंजर के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए
  160. प्रश्न- कार्ल मेंजर के विनिमय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  161. प्रश्न- कार्ल मेंजर के अनुसार वस्तुओं के वर्गीकरण का विश्लेषण कीजिए।
  162. प्रश्न- कार्ल मेंजर के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  163. प्रश्न- जेवेन्स के मूल्य सिद्धान्त का विश्लेषण कीजिए।
  164. प्रश्न- जेवेन्स के आर्थिक विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  165. प्रश्न- यूजिन वॉन बाम बावर्क के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  166. प्रश्न- बाम बावर्क के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  167. प्रश्न- नटविकसेल के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  168. प्रश्न- इविंग फिशर के प्रमुख आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  169. प्रश्न- "मुद्रा प्रसार व संकुचन दोनों हानिकारक हैं।" इविंग फिशर के इस विचार का विश्लेषण कीजिए।
  170. प्रश्न- फिशर के मुद्रा के परिमाण सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।

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